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Mughal History: औरंगजेब के पोते ने रानी के चक्कर में करी दादा से भी ज्यादा क्रूरता, सुनकर आप भी नहीं करेंगे यकीन

नॉलेज डेस्क, मुग़ल इतिहास :- आज आपको ऐसी कहानी के बारे में बताएंगे जिसे सुनकर आप चकित रह जायेंगे. यह कहानी औरंगजेब के उस पोते की है जिसने अपनी रानी के रोमांच के लिए यमुना नदी के बीच नाव रोककर 25 लोगो को मौत के घाट उतार दिया था. ये ऐसी क्रूरता की कहानी है जिसे सुनकर ही आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे.

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ओरंगजेब के पोते की कहानी जिसे रात शराबी पीटकर चले जाते थे

आपने ऐसा तो सुना होगा जब कोई कहानी सुनाते थे तो बोल दिया करते थे कि एक था राजा एक थी रानी, दोनो मर गए खतम कहानी. लेकिन इस कहानी में ऐसा कुछ नहीं है क्योंकि ये कहानी राजा रानी के मार जाने की नहीं है बल्कि अपनी रानी के रोमांच की है. उसने मौत का मंजर देखने की इच्छा जाहिर की थी, जिसे पूरा करने के लिए यमुना नदी में नाव को रोककर 25 लोगो को मौत के घाट उतार दिया. ये कहानी ओरंगजेब के पोते की कहानी है जिसे रात शराबी पीटकर चले जाते थे और ऐसा राजा जो बैलगाड़ी में बैठकर शराब के ठेके पर पहुंच जाता था ताकि कोई पहचान न सके.

अय्याशी के दौर में रहे राजा दिलशाद शाह ने पहली नजर में पसंद किया लाल कुंवर को

बहादुरशाह जफर के बेटे दिलशाद शाह जिन्होंने 5 साल तक दिल्ली की राजगद्दी पर बैठकर राज किया, वो हमेशा अय्याशी में ही डूबे रहते थे. उसी समय के चलते उन्हें लाल कुंवर मिली. राजा दिलशाद शाह ने लाल कुंवर को देखते ही पहली नजर में उसे पसंद कर लिया था. उनका दौर अय्याशी का दौर रहा वो शराब पीने के चक्कर में आधी रात को ही बैलगाड़ी में छुपकर शराब के अड्डे पर पहुंच जाते थे. शराबी लोग उन्हें पीटकर चले जाते थे.

क्या थी लाल कुंवर की ख्वाहिश

वो अपनी बेगम को इतना पसंद करते थे कि उनकी हर बात मानते थे.  ऐसे ही एक किस्सा बताते हैं. उन्होंने लाल कुंअर के कहने पर शिकार के लिए जाने वाले रास्ते के सारे पेड़ पौधे कटवा दिए थे. जिससे उनके काम में कोई रुकावट पैदा न हो. उनकी ऐसी ही फरमाइशों में से ये एक फरमाइश थी कि जब एक दिन उन्होंने राजा को कहा कि हुज़ूर मैने नदी में कभी नाव डूबती हुई नहीं देखी. मैं सोचती हूं कि लोग जब डूबते होंगे तो वो कैसे चीख पुकार करते होंगे. वो खुद को बचाने की कोशिश कैसे करते होंगे.

इच्छा पूरी करने के लिए 25 लोगों को गंवानी पड़ी अपनी जान

राजा समझ गए थे वो मौत का मंजर देखना चाहती हैं. उनकी ये इच्छा पूरी करने के लिए उन्होंने यमुना नदी में नाव डुबवाने का इंतजाम किया. उसके बाद वो बेगम के साथ लालकिले की सबसे ऊंची दीवार पर बैठकर ये मंजर देख रहे थे. डूबती हुई नाव को देखकर वो तालियां बजा रहे थे. उनका ये शौक पूरा करने के लिए 25 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी. ये थी राजा की क्रूरता की कहानी जो उन मुसाफिरों की चीख पुकार देखकर अपनी बेगम के खुश होने की खुशी में उनकी खुद की खुशी का ठिकाना नही था. ऐसा था राजा और ऐसी थी रानी.

Rohit Kumar

हेलो दोस्तों मेरा नाम Rohit Kumar है. मैं खबरी राजा की टीम में बतौर कंटेंट राइटर अपनी सेवा दे रहा हूँ. इससे पहले मैंने अमर उजाला और Zee न्यूज़ राजस्थान में बतौर कंटेंट राइटर अपनी सेवा दी है. मैं पूरी मेहनत करके सच को आप तक सबसे पहले पहुँचता हूँ.

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