बेटों ने कराई विधवा मां की शादी, बोले- मां को भी साथी की जरूरत
तमिलनाडु :- भास्कर उनके छोटे भाई विवेक दोनों जब कम उम्र के ही थे. तब उनके पिता का निधन हो गया था. 2009 में जब उनके पिता का निधन हुआ तो भास्कर वेल्लोर में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के पहले ही साल में थे. जबकि छोटे भाई विवेक 11वीं कक्षा में पढ़ रहे थे. भास्कर ने बताया उस समय तो हमने मां की दूसरी शादी के बारे में नहीं सोचा था. कई महिलाओं को अपने पति के निधन के बाद अकेले बच्चों की परवरिश करते देखा था तो ऐसे ही उनकी सोच बदली थी, लेकिन जब मैं इंजीनियरिंग कॉलेज के तीसरे साल में था. तो मैं अपने एक शिक्षक से मिलने गया था. तब उन्होंने कहा था, कि तुम्हारी मां इतने लंबे समय से अकेली रह रही है. दूसरी शादी क्यों नहीं कर सकते. बात आई गई हो गई , मां से बात करने का सवाल ही नहीं उठता.
मां से शादी की बात कैसे शुरू हुई?
भास्कर इस बारे में लंबे समय तक कुछ नहीं सोच पाए. उनकी कॉलेज की पढ़ाई पूरी हो गई वह नौकरी करने लगे किताब पढ़ने के शॉक की वजह से दुनिया भर की बातों को जानने भी लगे थे उन्होंने पेरियार में पुनर्विवाह संबंधी लेखों को पढ़ा. फिर दोस्तों से इस मुद्दे पर बात भी होने लगी तब भास्कर नहीं सोचा, कि मैं भी अकेली है. वह दोबारा शादी क्यों नहीं कर सकती. यह विचार आने के बाद उन्होंने अपने छोटे भाई से बात की छोटे भाई को इस पर कोई आपत्ति नहीं हुई फिर दोनों भाइयों ने मिलकर मां को मनाने का काम शुरू किया भास्कर ने बताया मां का जीवन हमारे इर्द-गिर्द ही घूमता था. इसीलिए उन्होंने इस पर बात करने में अनिच्छा जाहिर की इसके बाद हमने इस बातचीत को आगे बढ़ाना शुरू किया. एक दिन मेरी मां मुझे शादी की बात कहने लगी कि तेरी शादी करने की उम्र हो गई है. तब मैंने कहा कि अगर तुम शादी करोगी तो मैं भी कर लूंगा. इसके बाद में अक्सर या अपनी मां से इस बारे में बात करने लगा. उनसे कहने लगा कि आप लंबे समय से अकेली ही संघर्ष कर रही है. आपको शादी करनी चाहिए फिर मैं भी करूंगा.
परिजनों ने जताई आपत्ति
दोनों बेटों की लगातार कोशिशों के चलते कुछ साल में सेल्फी फिर से शादी के लिए तैयार हो गई हालांकि समाज में ऐसा चलन आम नहीं था. जिन महिलाओं के पति का निधन हो जाता है. उन्हें भी दुआ बन कर रहना पड़ता है. नाते रिश्तेदार ऐसी महिलाओं की दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं होते हैं. नाते रिश्तेदारों की चिंताएं भी बेटे ने यह कहते हुए दूर की कि जब हमारी तकलीफों में कोई साथ देने नहीं आया, तो फिर इस बात पर हम उनकी चिंता क्यों करें.
बेटो ने अपनी मां के लिए तलाश वर
मां की सहमति मिलने के बाद दोनों बेटों के लिए अगली चुनौती उपयुक्त वर की तलाश थी.
भास्कर ने अपनी मां से कहा कि हम किसी ऐसे शख्स के साथ आपकी शादी नहीं करना चाहते थे, जिनकी पत्नी का निधन हो गया और उनसे दूसरी शादी मेरी मां से कर ली, वह कुछ दिनों तक तलाश किए गए वर से बातचीत करके देखेंगे फिर आगे की बातें करेंगे.
सैलरी कहती है, कई लोगों ने मुझसे पूछा कि आप इतने साल के बाद ऐसे जीवन के लिए कैसे सहमत हो सकते हैं. भले ही आपके बच्चे ऐसा कहते हो जब तलाकशुदा के लिए पुनर्विवाह का कानून है, तो मैं क्यों डरूं?
उन्होंने कहा “बच्चों के लिए बोझ बने बिना अंत समय में अपने लिए जीवनसाथी खोजने में कोई बुराई नहीं है. शादी सिर्फ सेक्स के बारे में नहीं है इसमें एक मित्र और साथी के होने से आपको साहस मिलता.