Business Idea

Business Idea: भैंस की इन टॉप 5 नस्ल का करें पालन, सालाना 5 हजार लीटर तक दूध मिलेगा

नॉलेज डेस्क:- गांव के लोगों के लिए पशुपालन Income का Main Source होता है. इसके जरिए लोग अपने परिवार का पालन पोषण करते हैं. पशुपालन से लोग दूध के साथ साथ दूध से बने पदार्थों का भी Business करते हैं. पशुपालन के उद्देश्य से कुछ नस्ल की भैंसे मुख्य रूप से पाली जाती हैं जिनसे पशुपालक अधिक मात्रा में दूध प्राप्त कर सकते हैं. Dairy Farming से पूरे देश में लोग अपने Business को बढ़ा रहे हैं और काफी मुनाफा कमा रहे हैं. दूध और उससे बने पदार्थों के साथ-साथ पशुओं का गोबर और मूत्र भी आय का साधन बन गया है.

Join WhatsApp Group Join Now
Join Telegram Group Join Now

इन नस्ल की भैंस का पालन कर डेयरी बिजनेस से करें मोटी कमाई

ग्रामीण लोग दूध उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कई किस्म की गाय भैंसों का पालन करते हैं जिनमें कुछ नस्लें देसी और विदेशी भी होती हैं ताकि उनसे ज्यादा दूध प्राप्त कर के उत्पादन को बढ़ाकर अपने आय में वृद्धि कर सकें. हम आपको गाय भैंसों की Top 5 नस्लों के बारे में बताएंगे जिनकी साल भर में 2,500 से लेकर 5,000 लीटर तक दूध देने की क्षमता होती है. इस नस्ल की गाय भैंसों की देखरेख का खर्च भी अधिक नहीं होता है. आप इस नस्ल की गाय भैंसों का पालन करके अपनी Income को और बढ़ा सकते हैं.

मुर्रा भैंस

दुग्ध उत्पादन के लिए गांव के किसान इस नस्ल का Use सबसे ज्यादा करते हैं. इसकी कीमत लाखों करोड़ों रुपए के लगभग है. इस नस्ल की भैंसे दिखने में Healthy और Attractive होती हैं. इनका वजन 800 से लेकर 1000 किलो के लगभग है. सामान्य देशों की तुलना में इस नस्ल की भैंसे 20 से 25 लीटर तक दूध प्रतिदिन दे सकती हैं. यह भैंसे अधिकतर यूपी, हरियाणा, पंजाब, पटियाला, दिल्ली और राजस्थान के जिलों में पाई जाती हैं.

नीली रावी नस्ली भैंस

यह वैसे मूल रूप से पंजाब के सतलुज घाटी में पाई जाती है. अधिकतर UP के बरेली, मुरादाबाद और रामपुरा जिले में इनका पालन किया जाता है. सेहत की दृष्टि से देखा जाए तो यह वैसे काफी मजबूत दिखाई देती है. धंसे हुए ललाट कि यह भैंसें काफी सुंदर दिखाई देती हैं. इनका दुग्ध उत्पादन औसतन 25,00 से 5,000 किलोग्राम तक होता है. 10% से अधिक इसमें फैट मौजूद होता है.

भदावरी भैंस

इस नस्ल की भैंसों का मूल स्थान भदावर क्षेत्र है. इनका शारीरिक आकार Medium होता है. रंग ताबिया और इनके शरीर पर बालों की मात्रा कम होती है. इस नस्ल की भैंसे अधिकतर जालौन के जिलों में यमुना व चंबल नदी के आसपास पाई जाती हैं. इनका दूध उत्पादन 1600 से 1800 किलोग्राम के लगभग होता है. इनके दूध में फैट की मात्रा अधिक होती है इसलिए इस गाय का उत्पादन अधिक होता है.

गोदावरी भैंस

गोदावरी भैंसें आंध्र प्रदेश में पाई जाती हैं. इन भैंसों का रंग हल्का काला, भूरा एवं सलेटी होता है. इस नस्ल की खासियत यह है कि इसकी देखरेख का खर्चा भी कम लागत में होता है और इसकी Quality भी काफी बेहतर होती है. इसमें फैट की मात्रा अधिक होती है. इसका दुग्ध उत्पादन 1500-2000 लीटर तक का होता है.

जाफराबादी भैंस

यह भैंसें शरीर से मजबूत कद-काठी वाली और Attractive होती हैं. यह नस्ल अधिकतर गुजरात के गिर जंगलों में पाई जाती हैं. इनका माथा चौड़ा और सींग काफी बड़े आकार के होते हैं. औसत के हिसाब से इनका प्रति व्यास दुग्ध उत्पादन 15,00 से 1800 लीटर होता है.

Rohit Kumar

हेलो दोस्तों मेरा नाम Rohit Kumar है. मैं खबरी राजा की टीम में बतौर कंटेंट राइटर अपनी सेवा दे रहा हूँ. इससे पहले मैंने अमर उजाला और Zee न्यूज़ राजस्थान में बतौर कंटेंट राइटर अपनी सेवा दी है. मैं पूरी मेहनत करके सच को आप तक सबसे पहले पहुँचता हूँ.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button