CM मनोहर के लिए गले का फांस बना भिवानी दौरा, SC समाज के लिए प्रतिबंधित शब्द का इस्तेमाल करने पर भेजा लीगल नोटिस
भिवानी :- हाल ही में मुख्यमंत्री ने हरियाणा के जिला भिवानी के गाँवो का दौरा किया था. यह दौरा मुख्यमंत्री पर भारी पड़ गया है. दरअसल, भिवानी के गांव के दौरे के दौरान गांव धनाना में मुख्यमंत्री ने एक जनसंवाद के दौरान SC समाज के लिए प्रतिबंधित शब्द का प्रयोग कर दिया है. जिसका वीडियो वायरल हो गया और SC समाज ने मुख्यमंत्री की भाषा पर आपत्ति जताते हुए उन्हें कानूनी नोटिस भेज दिया है. दलित अधिकार कार्यकर्ता वकील रजत क्लसन ने इस मामले में मुख्यमंत्री मनोहर लाल को Legal Notice भेजा है जिसमें मुख्यमंत्री से इस मामले में प्रदेश की अनुसूचित जाति समाज की जनता से माफी मांगने की मांग की गई है.
मुख्यमंत्री पर पूरे प्रदेश के SC समाज का रोष
जानकारी के मुताबिक क्लसन ने अधिवक्ता प्रवेश महिपाल के द्वारा भेजे गए कानूनी नोटिस में यह कहा है कि मनोहर लाल पिछले दो बार से हरियाणा के मुख्यमंत्री के पद पर आसीन हैं यह प्रदेश का एक सर्वोच्च व जिम्मेदार पद है. उन्हें प्रदेश की जनता ने बिना किसी भेदभाव के विकास करने के लिए चुना है. मुख्यमंत्री बनने के समय उनके द्वारा संविधान की शपथ ली गयी थी कि वे बिना किसी धर्म, जाति, संप्रदाय, पथ, लिंग के भेदभाव के आधार पर पूरे प्रदेश की जनता का विकास करने के लिए प्रयास करेंगे. लेकिन भिवानी जिले के दौरे के दौरान उन्होंने भिवानी के गांव धनाना में Central Government व State Government द्वारा प्रतिबंधित किए गए शब्द SC समाज के लिए प्रयोग किया है, जिस पर पूरे प्रदेश के SC समाज में रोष उत्पन्न हो गया है.
15 दिन के अंदर मुख्यमंत्री को मीडिया में बयान जारी कर मांगनी होगी माफी
आपको बता दें कि, कलसन ने मुख्यमंत्री को भेजे गए कानूनी नोटिस में उनसे SC समाज से माफी मांगने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि 15 दिन के अंदर मुख्यमंत्री इस शब्द के इस्तेमाल के बारे में सोशल मीडिया, डिजिटल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, व प्रिंट मीडिया में बयान जारी करके माफी मांगे, यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो समाज की तरफ से उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है. कलसन ने मुख्यमंत्री से इस शब्द के इस्तेमाल को रोकने के बारे में विधानसभा में एक बिल लाने की मांग भी की है. उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री इस बारे में अध्यादेश जारी करें ताकि इस आपत्तिजनक शब्द को सरकारी व व्यवहारिक भाषा में प्रयोग होने से रोका जा सके.
1982 में किया गया था विवादित शब्द को प्रतिबंधित
आपको बता दें कि, क्लसन ने जानकारी देते हुए बताया है कि 1982 में ही भारत सरकार के गृह मंत्रालय द्वारा भारत के राष्ट्रपति के माध्यम से देश के प्रत्येक प्रदेश व केंद्र शासित प्रदेश की मुख्य सचिवों को एक Notification भेज दिया गया था. जिसमें विवादित शब्द को प्रतिबंधित कर दिया गया था. आप ये पोस्ट KhabriRaja.Com वेबसाइट पर पढ़ रहे है. आपकी इस पोस्ट के बारे मे क्या राय है हमें Comment Box मे जरूर बताएं.
‘हरिजन’ शब्द का प्रयोग अपराधिक
इसके अलावा भी माननीय Supreme Court ने मंजू देवी बनाम ओमकार जीत सिंह अहलूवालिया अपील नंबर 570/2017 के मामले में यह सुनिश्चित किया था कि हरिजन शब्द का उपयोग आजकल अनुसूचित जाति व जनजाति समाज के लोगों को नीचा दिखाने व उन्हें अपमान महसूस कराने के लिए किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने इस शब्द का उपयोग करना अपराधिक बताया था.